CBSE कक्षा 10 नई परीक्षा प्रणाली 2025 | बोर्ड परीक्षा में बड़े बदलाव | पूरी जानकारी
भारत सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 लागू करते हुए शिक्षा प्रणाली में व्यापक बदलाव किए हैं। इस नीति का मुख्य उद्देश्य छात्रों के समग्र विकास को सुनिश्चित करना और उन्हें केवल रटने की प्रवृत्ति से मुक्त करके व्यावहारिक एवं संज्ञानात्मक कौशल विकसित करने का अवसर देना है। इसी कड़ी में, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने हाल ही में परीक्षा प्रणाली में नए बदलावों की घोषणा की है, जो शैक्षणिक सत्र 2025-26 से लागू किए जाएंगे। कक्षा 10 बोर्ड परीक्षा 2025-26 अपडेट
यह बदलाव न केवल छात्रों के लिए एक अनुकूल शैक्षणिक माहौल तैयार करेंगे, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और सृजनात्मक सोच विकसित करने में भी मदद करेंगे। आइए इस नई परीक्षा प्रणाली को विस्तार से समझते हैं।
नई CBSE 2025-26 परीक्षा प्रणाली के प्रमुख बिंदु
1. सत्रीय परीक्षाएँ और सतत मूल्यांकन
पहले केवल साल के अंत में एक बड़ी परीक्षा होती थी, जिसमें छात्रों का पूरा मूल्यांकन किया जाता था। लेकिन अब, छात्रों को पूरे वर्ष में कई परीक्षाएँ और मूल्यांकन प्रक्रियाओं से गुजरना होगा, जिससे उनकी समग्र प्रगति का सही आकलन किया जा सके।
2. कौशल आधारित मूल्यांकन
नई शिक्षा नीति के अनुसार, परीक्षाएँ अब केवल याद किए गए तथ्यों पर आधारित नहीं होंगी, बल्कि छात्रों की समस्या-समाधान क्षमता, तार्किक सोच, और रचनात्मकता को भी परखा जाएगा। इसके तहत Objective (MCQ), Case-Study आधारित प्रश्न और विश्लेषणात्मक प्रश्न अधिक होंगे।
3. विषयों का लचीलापन
अब छात्रों को विज्ञान, वाणिज्य और कला (Science, Commerce, Arts) के बीच सीमाएँ नहीं बाँधनी होंगी। वे अपनी रुचि के अनुसार विभिन्न विषयों का चुनाव कर सकते हैं। इससे छात्र अपनी रुचि और भविष्य की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए विषयों का चयन कर पाएंगे।
4. 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा में सुधार
बोर्ड परीक्षाएँ अब पूरे साल में दो बार आयोजित की जाएंगी ताकि छात्रों को परीक्षा का दबाव न महसूस हो।
उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन अधिक व्यावसायिक और पारदर्शी तरीके से किया जाएगा।
अंक प्रणाली को अधिक समग्र और निष्पक्ष बनाया जाएगा।
नई परीक्षा प्रणाली के लाभ
1. रटने की प्रवृत्ति समाप्त होगी
पारंपरिक परीक्षा प्रणाली में छात्र केवल परीक्षा के लिए पढ़ाई करते थे और परीक्षा के बाद सब कुछ भूल जाते थे। लेकिन नई प्रणाली के तहत, छात्रों को समझ पर आधारित शिक्षा मिलेगी, जिससे उनका ज्ञान स्थायी और व्यावहारिक बनेगा।
2. अवधारणात्मक समझ को बढ़ावा
अब परीक्षा प्रणाली ऐसी होगी कि छात्रों को गहरे स्तर पर विषयों को समझने की जरूरत होगी। इससे वे केवल उत्तर याद करने के बजाय, वास्तविक दुनिया में उनका उपयोग करना सीखेंगे।
3. कम तनाव और अधिक अवसर
बोर्ड परीक्षाएँ साल में दो बार होंगी, जिससे छात्रों को अच्छा प्रदर्शन करने का एक अतिरिक्त मौका मिलेगा।
सतत मूल्यांकन के कारण छात्रों पर परीक्षा के अंतिम दिनों में अधिक दबाव नहीं पड़ेगा।
4. व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा
छात्रों को केवल अकादमिक पढ़ाई तक सीमित न रखते हुए, कौशल आधारित शिक्षा दी जाएगी। इससे वे सॉफ्ट स्किल्स, तकनीकी ज्ञान और व्यावसायिक दक्षता विकसित कर सकेंगे।
5. नई परीक्षा प्रणाली से संभावित चुनौतियाँ
1. शिक्षकों की नई प्रणाली में प्रशिक्षण
परीक्षा प्रणाली बदलने के लिए शिक्षकों को भी नए तरीकों से पढ़ाने का प्रशिक्षण देना जरूरी होगा। यदि शिक्षक इस बदलाव को अपनाने में सक्षम नहीं होंगे, तो यह नीति प्रभावी नहीं हो पाएगी।
2. तकनीकी अवसंरचना की कमी
कई विद्यालयों में डिजिटल संसाधनों और शिक्षण उपकरणों की कमी है। इस नई नीति को सफल बनाने के लिए स्कूलों को डिजिटल रूप से सशक्त बनाना होगा।
3. छात्रों और अभिभावकों की मानसिकता में बदलाव
कई छात्र और अभिभावक अब भी अंकों को ही सफलता का पैमाना मानते हैं। इसलिए, इस नई प्रणाली को सफल बनाने के लिए लोगों की सोच में बदलाव लाना जरूरी होगा।
नई शिक्षा नीति पर जनता की राय महत्वपूर्ण
सीबीएसई ने यह स्पष्ट किया है कि नई परीक्षा प्रणाली पर जनता की राय भी ली जाएगी। विद्यार्थी, शिक्षक, अभिभावक और अन्य हितधारक 9 मार्च 2025 तक अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं। इसके बाद सरकार प्राप्त सुझावों की समीक्षा करके नीति में अंतिम बदलाव करेगी।
यदि यह प्रणाली सही तरीके से लागू होती है, तो यह भारतीय शिक्षा प्रणाली के लिए एक क्रांतिकारी कदम साबित होगी।
निष्कर्ष
नई परीक्षा प्रणाली छात्रों के समग्र विकास, व्यावहारिक ज्ञान, तार्किक सोच और कौशल विकास को बढ़ावा देगी। यह नीति केवल परीक्षा के स्वरूप को ही नहीं, बल्कि पूरी शिक्षा प्रणाली को अधिक प्रभावी और उपयोगी बनाएगी।
हालांकि, इसे लागू करने के लिए शिक्षकों, स्कूल प्रशासन, सरकार और समाज की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। यदि सभी पक्ष मिलकर इस बदलाव को अपनाते हैं, तो यह निश्चित रूप से भारतीय शिक्षा प्रणाली को एक नई दिशा देगा और हमारे छात्रों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने में मदद करेगा।
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